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हरियाणा की अलग कमिटी हरियाणा के सिख्खों का सवैंधानिक हक़ – सरना
हरियाणा की अलग कमिटी हरियाणा के सिख्खों का सवैंधानिक हक़ – सरना
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हरियाणा की अलग कमिटी हरियाणा के सिख्खों का सवैंधानिक हक़ – सरना
स. परमजीत सिंघ सरना प्रधान, शिरोमणि अकाली दल दिल्ली ने कहा कि हरियाणा में अलग गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाना हरियाणा के सिखों का संवैधानिक, कानूनी , सामाजिक , राजनीतक और धार्मिक अधिकार है और उन का यह हक़ किसी भी कीमत पर छीना नही जा सकता .
जारी एक बयान द्वारा स. सरना ने कहा कि संवैधानिक रूप और अधिकार इस कारण हरियाणा के सिखों को मिल जाता है क्योंकि १९६६ के पुनर्गठन ऐक्ट में सपष्ट लिखा है कि हरियाणा को अपने अलग स्वास्थ्य संस्थान , यूनिवर्सिटी और गुरुद्वारा कमेटिया बनाने का अधिकार है और इस के उपर उस स. प्रकाश सिंघ बादल के भी हस्ताक्षर है जो आज हरियाणा की अलग कमेटी का विरोध करके वहां के सिखों का यह हक़ छीनने का विफल यत्न कर रहा है .  उन्होंने कहा कि हरियाणा के सिखों को कानूनी रूप और यह अधिकार पंजाब ऐंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक पटीशन नंबर ३७१/१९९९ द्वारा सीनीअर एडवोकेट और तात्कालिक गुरुद्वारा जुडीशीअल कमीशन का चेअरमैन स. कश्मीर सिंघ पट्टी द्वारा दायर की गयी था जिस और फुल बेंच ने सुनवाई करते हुए हरियाणा की अलग कमेटी बनाने का अधिकार १३ सितम्बर २००२ को निर्णय सुना कर दिया था .
उन्होंने कहा कि आज हरियाणा का समस्त सिख समाज अलग कमेटी के लिए हामी भर रहा है और 6 जुलाई को हरियाणा के कस्बा कैथल में सिखों द्वारा किया गया विशाल सम्मेलन इस की गवाही भरता है जिस में हरियाणा के सिख्खों ने मुख्य मंत्री श्री हुड्डा को अलग कमेटी बनाने की अनुमति दोनो हाथ खड़े करके दी थी.  राजकीय रूप से भी हरियाणा के सिखों के लिए हरियाणा कमेटी बनाना बहुत जरूरी है क्योंकि जिस तरह शिरोमणि कमेटी , दिल्ली कमेटी , पटना साहब कमेटी और हजूर साहब कमेटी के प्रबंधकों को अपने सिखों के हित के लिए आवाज बुलंद करने का अधिकार है उस तरह ही हरियाणा की अलग कमेटी बनने से सिख अपनी राजकीय रूप से भी आवाज पूरी तरह बुलंद कर पाएँगे .
उन्होंने कहा कि धार्मिक रूप से और जितना हक़ पंजाब के सिख गुरुधामों की सेवा करने का जताते हैं उतना ही हक़ हरियाणा के सिखों को वहां के गुरुधामों की सेवा करने का है .
उन्होंने कहा कि गुरु घर की सेवा करनी सिख धर्म में बहुत बड़ी असीस मानी जाती है और हरियाणा के सिख्खों को इस असीस तो वंचित रखना किसी भी कीमत पर ठीक नही है.  उन्होंने कहा कि जो  लोग यह शोर मचा रहें हैं कि हरियाणा की अलग कमेटी बनाये जाने से शिरोमणि कमेटी टूट जायेगी पूरा तरह गलत है और शिरोमणि कमेटी का 1925 वाला ऐक्ट सिर्फ पंजाब सटेट ऐक्ट है और पंजाब में ही गुरूदुआरे का प्रबंध करने का इजाजत देता है पर आज जब हरियाणा अलग राज्य बन गया है तो फिर हरियाणा को अलग कमेटी बनाने का अधिकार उस से कैसे छीना जा सकता है?
श्री अकाल तख़त साहब के जथ्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंघ द्वारा स. जगदीश सिंघ झीडा , स. दीदार सिंघ नलवी और स. हरमोहिंदर सिंघ चठ्ठा को पंथ से छेके जाने के निर्णय को पूरा तरह सियासत से प्रेरित बताते हुए स. सरना ने कहा कि जब भी किसी सिख को श्री अकाल तख़त पर किसी भी शिकायत के आधार और बुलाया जाता है तो उस को पेश होने के तीन मौक़े जाते हैं.  
उन्होंने कहा कि जब उन की भेंट मुख्य मंत्री श्री हुड्डा से हुई थी तो उन्होंने भी कहा था कि वह जथ्थेदार साहब का बहुत सत्कार करते हैं और जथ्थेदार साहब तक उन का संदेशा पहुँचाया जाए कि जिन तीन व्यक्तियों झीडा, नलवी और चठ्ठा को पंथ से छेका गया है उन का कोई कसूर नही है और अलग कमेटी तो हरियाणा सरकार ने बनाई है इस के लिए श्री अकाल तख़त साहब और उन (हुड्डा) को बुलाया जाए तो वह खुशी खुशी पेश हो कर अपना पक्ष रखेंगे .
स. सरना ने कहा कि सीधे रूप में सिर्फ उस को ही तनखाहिया क़रार दिया जा सकता है जिस ने कोई माफ़ी ना मिलने की काबिल गुनाह किया हो जिस तरह बिकरम सिंघ मजीठिया ने दसम पिता श्री गुरु गोबिंद सिंघ जी के मुबारक शब्दों को तोड़ मरोड़ कर एक विशिष्ट व्यक्ति का नाम जोड़ दिया था. उन्होंने कहा कि मजीठीए को तो तनखाहिया क़रार देने का बजाए बचाने की हर कोशिश की गयी, पर जिन तीन सिखों को तनखाहिया क़रार दिया गया है उन में से किसी ने भी बजर गुनाह नही किया और पत्र भेज कर पेशी के लिए दस दिनों का समय माँगा था जिस का हर सिख को हक़ है . उन्होंने कहा कि झीडा और नलवी तो पिछली 18 सैलून से अलग कमेटी की माँग करते आ रहे हैं और इस सबंध में वह कई बारी श्री अकाल तख़त साहब और शिरोमणि कमेटी के प्रधान को माँग पत्र भी दे चुके हैं पर उन की आज तक कोई सुनवाई नही हुई . उन्होंने कहा कि अलग कमेटी न झींडा , न नलवी और न ही चठ्ठा ने बनाई बल्कि यह हरियाणा सरकार ने ही बनाई है तथा जथ्थेदार ने सियासी रूप और कार्रवाई के कारण तीन निर्दोष सिखों को छेक कर जो इतिहास रचा है, उस के लिए गुरूसाहिब कभी माफ़ नही करेंगे . उन्होंने कहा कि अभी भी समय है कि जथ्थेदार अपने निर्णय पर दोबारा विचार करें और जारी किये गये हुक्मनामे को उस तरह ही वापस लें जिस तरह ज्ञानी पूरण  सिंघ के द्वारा जारी किये गये हुक्मनामे जथ्थेदार ज्ञानी जोगिंदर सिंघ वेदांती ने वापस ले कर पंथ से छेकी गयी बीबी जगीर कौर को बरी कर दिया था.  उन्होंने कहा कि हरियाणा की कमेटी की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और बादल को चाहए कि वह मोरचा लगाने का शोर मचा कर माहौल को दोबारा खराब न करे और हरियाणा का गुरुद्वारों में भेजी गयी अपनी सेना को वापस बुलाये और हरियाणा के सिखों को प्रबंध करने में सहयोग करें. 

 
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