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हर राज्य शहीदों के परिवार को एक समान मुआवजा अदा करे
हर राज्य शहीदों के परिवार को एक समान मुआवजा अदा करे
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हर राज्य शहीदों के परिवार को एक समान मुआवज़े की रकम अदा करे।
प्रनाधिका लिखती हैं, “जब भी कोई जवान शहीद होता है, वो देश के लिए शहीद होता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो किस राज्य के निवासी हैं। लेकिन इन वीरों को राज्यों द्वारा अलग-अलग मुआवज़े दिए गए। ये भेदभाव तुरंत बंद होना चाहिए।”
उनकी पेटीशन पर हस्ताक्षर कर इसे शेयर करें ताकि हर राज्य शहीदों के परिवार को एक समान मुआवज़े की रकम अदा करे।
निर्णायक : Nirmala Sitharaman, General Bipin Rawat, Narendra Modi, Rajeev Chandrasekhar
#DeshKeShaheed : हमारे जवानों के साथ भेदभाव बंद हो, राज्य सरकारें दें एक समान मुआवज़ा
मुद्दा उठाने वाले Pranaadhika Sinha Devburman
Kolkata, India   
एक क्लिक से पेटीशन पर हस्ताक्षर करें
जब भी कोई जवान शहीद होता है, वो देश के लिए शहीद होता है। इससे फर्क नहीं पड़ता कि वो किस राज्य के निवासी हैं। तो फिर उनके बलिदान को अलग-थलग क्यों किया जाता है?
पुलवामा हमले के बाद, विभिन्न राज्य सरकारों ने हमारे शहीद जवानों के परिवार को अलग-अलग मुआवज़े की घोषणा की। देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले भारत के ये बहादुर सैनिक 10 राज्यों राज्यों से आते थे। इन राज्य सरकारों का मुआवज़ा भी अलग-अलग है।
त्रिपुरा ने 2 लाख की घोषणा की,
तो महाराष्ट्र ने 50 लाख की तो वहीं
मध्य प्रदेश ने 1 करोड़ रुपये की।
उत्तर प्रदेश ने जवानों के परिवार को 25 लाख देने की बात कही तो
तमिलनाडु ने 20 लाख की।
बात सिर्फ पुलवामा की नहीं है, भारतीय सेना द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 2005-2017 के बीच 1684 जवानों ने, पाकिस्तान द्वारा सीज़फायर के उल्लंघन, आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन, इत्यादि में देश के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी।
लेकिन इन वीरों को राज्यों द्वारा अलग मुआवज़े दिए गए। ये भेदभाव तुरंत बंद होना चाहिए। भारत के हर सैनिक को जीवित रहते या शहीद होने के बाद, एक जैसा सम्मान मिलना चाहिए।
मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर कर इसे शेयर करें ताकि रक्षा मंत्रालय देश के शहीदों के साथ होने वाले इस भेदभाव के खिलाफ ठोस कदम उठाए। सरकार एक आदेश जारी करे ताकि हर राज्य शहीदों के परिवार को एक समान मुआवज़े की रकम अदा करे।
भारत के इन वीरों के लिए आज पूरे देश को दुख है। पर जो दुखों का पहाड़ शहीदों के माता-पिता, पत्नी और बच्चों, भाई-बहनों पर पड़ा है, हम उसके बारे में सोच भी नहीं सकते हैं।
ज़रा सोचिए उस माँ के बारे में जिसने अपने बेटे को हमेशा के लिए खो दिया है। उसके पास अपने लाडले की बस तस्वीरे हैं, कुछ यादे हैं। ज़रा सोचिए उन मासूमों के बारे में, जिन्हें ये भी नहीं पता कि पापा को तिरंगे में लपेटकर क्यों लाया जा रहा है।
हम तो उन्हें ये भी नहीं बता सकते कि वो क्यों अब उन्हें कभी नहीं देख पाएंगे, उन्हें गले लगा पाएंगे, उन्हें लाड-प्यार दे पाएंगे। लेकिन हम सारे देशवासी मिलकर कम से कम इतना तो कर ही सकते हैं कि शहीदों के परिवार को उनका हक मिले।
आइये साथ मिलकर सुनिश्चित करें कि शहीदों के परिवार को सही मुआवज़ा मिले और समय पर मुआवज़ा मिले, एक जैसा मुआवज़ा मिले।
मेरी पेटीशन पर हस्ताक्षर करें ताकि देश के शहीदों के साथ भेदभाव ना हो।



 

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